जब जब तुमने किए सवाल
जब जब तुमने किए सवाल ,
मैं प्रायः निरुत्तर हो जाती हूं।
क्योंकि इतने कठिन प्रश्न मैने
किसी किताब में पढ़े ही न हैं
पर मैं तुमसे कुछ सवाल करूं तो उत्तर दोगे क्या ?
आसमान में उड़ते परिंदों से,
क्या पूछा कभी तुमने
कि बेखौफ कैसे उड़ाने भरते हो,
कहां से लाते हो इतनी शक्ति
कि सागर भी लांघ जाते हो
क्या कभी वसुधा के दर्द को
महसूस किया तुमने,
कितनी नदियों का उत्खनन
पर्वत श्रृंखलाओं का खात्मा
और जंगलों का विनाश,
चहचहाते पक्षियों के आश्रय
उजाड़ कर दिए तुमने
और फिर भी
न भरा मन तो उस प्रकृति द्वारा
प्रदत खाद्य संपदा में भी
मिला डाला रसायनों का घातक विष
क्या है उत्तर इन प्रश्नों के तुम्हारे पास
प्रश्न चुके नहीं हैं, ऐसा मत सोचना,
बाकी हैं बहुत,
जरा आगे तो कहने दो
पाप करते समय, जरा सा भी दिल नहीं कांपता , क्या किसी की तड़पन तुम्हें महसूस नहीं होती ,
एक छोटी सी चिनगारी से आह निकल जाती है,
फिर किसी को समूचा कैसे जला देते हो ।
नहीं नहीं अब नहीं पूछना और प्रश्न
जानती हूं तुम खफा हो जाओगे ..................
विनीता गुप्ता छतरपुर मध्य प्रदेश स्वरचित मौलिक
आज की प्रतियोगिता हेतु विषय स्वैच्छिक दिनांक 8 अप्रैल 2024
Mohammed urooj khan
16-Apr-2024 11:03 PM
👌🏾👌🏾👌🏾👌🏾👌🏾
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Sarita Shrivastava "Shri"
10-Apr-2024 04:27 AM
वाह! बेहतरीन सुन्दर विचार प्रस्तुति👌👌🌹🌹
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Varsha_Upadhyay
09-Apr-2024 07:25 AM
Nice
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